आज के इस आर्टिकल में मै आपको “लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना | भारतीय दंड संहिता की धारा 332 क्या है | 332 Ipc in Hindi | IPC Section 332 | Voluntarily causing hurt to deter public servant from his duty ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
भारतीय दंड संहिता की धारा 332 क्या है | 332 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 332 ] हिंदी में –
लोक सेवक अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति कारित करना-
जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ति को या किसी अन्य लोक सेवक को, वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित या भयोपरत करे अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी. जर्माने से. या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।
332 Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 332 ] अंग्रेजी में –
“ Voluntarily causing hurt to deter public servant from his duty ”–
Whoever voluntarily causes hurt to any person being a public servant in the discharge of his duty as such public servant, or with intent to prevent or deter that person or any other public servant from discharging his duty as such public servant, or in consequence of anything done or attempted to be done by that person in the lawful discharge of his duty as such public servant, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, or with fine, or with both.
332 Ipc in Hindi
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