आज के इस आर्टिकल में मै आपको “लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति | भारतीय दंड संहिता की धारा 216A क्या है | 216A Ipc in Hindi | IPC Section 216A | Penalty for harbouring robbers or dacoits ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की –
भारतीय दंड संहिता की धारा 216A क्या है | 216A Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 216A ] हिंदी में –
लुटेरों या डाकुओं को संश्रय देने के लिए शास्ति–
जो कोई यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई व्यक्ति लूट या डकैती हाल ही में करने वाले हैं या हाल ही में लूट या डकैती कर चुके हैं, उनको या उनमें से किसी को, ऐसी लूट या डकैती का किया जाना सुकर बनाने के, या उनको या उनमें से किसी को दंड से प्रतिच्छादित करने के आशय से संश्रय देगा, वह कठिन कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा ।
स्पष्टीकरण–इस धारा के प्रयोजनों के लिए यह तत्वहीन है कि लूट या डकैती भारत में करनी आशयित है या की जा चुकी है, या [भारत] से बाहर |
अपवाद-इस उपबंध का विस्तार ऐसे मामले पर नहीं है, जिसमें संश्रय देना, या छिपाना अपराधी के पति या पत्नी द्वारा हो ।
216A Ipc in Hindi
[ Ipc Sec. 216A ] अंग्रेजी में –
“ Penalty for harbouring robbers or dacoits ”–
Whoever, knowing or having reason to believe that any persons are about to commit or have recently committed robbery or dacoity, harbours them or any of them, with the intention of facilitating the commission of such robbery or dacoity or of screening them or any of them from punishment, shall be punished with rigorous imprisonment for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.
Explanation.—For the purposes of this section it is immaterial whether the robbery or dacoity is intended to be committed, or has been committed, within or without 2[India].
216A Ipc in Hindi
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